CAMIT
3 अगस्त 2024 7.45 PM
नागपुर - चेंबर ऑफ एसोसिएशंस ऑफ महाराष्ट्र इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड (CAMIT) के अध्यक्ष डॉ. दीपेन अग्रवाल के नेतृत्व मां उमिया इंडस्ट्रियल एस्टेट, कापसी, कापसी खुर्द, बरदारी, लिहगांव और महलगांव क्षेत्र में जल-जमाव की समस्या से प्रभावित उद्योगों के प्रतिनिधिमंडल ने उपमुख्यमंत्री और नागपुर जिले के संरक्षक मंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और व्यावसायिक समुदाय की परेशानियों से अवगत कराया।
डॉ. दीपेन अग्रवाल ने उपमुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि जल-जमाव के कारण इन क्षेत्रों की औद्योगिक इकाइयों को भारी नुकसान हो रहा है और यह नुकसान केवल उद्यमियों के व्यवसाय तक सीमित नहीं है, बल्कि इन औद्योगिक इकाइयों पर निर्भर हजारों दैनिक वेतनभोगी श्रमिकों के परिवारों की आजीविका को भी प्रभावित कर रहा है। डॉ. अग्रवाल ने जानकारी दी कि हाल ही में, 20 जुलाई, 2024 को इन क्षेत्रों में भारी बारिश हुई और लगभग 125-150 इकाइयाँ जल-जमाव के कारण बुरी तरह प्रभावित हुईं। इन इकाइयों का कामकाज कई दिनों तक बाधित रहा, जिससे प्रति इकाई 2.00 करोड़ रुपये से 15.00 करोड़ रुपये तक का भारी आर्थिक और व्यावसायिक नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि उद्योगपति नुकसान के मुआवजे की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे चाहते हैं कि प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में और कोई जल-जमाव न हो।
डॉ. अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि ऐसे जल-जमाव के कारण का पता लगाने के लिए किसी को भी नगर नियोजन विशेषज्ञ होने की आवश्यकता नहीं है। प्रभावित क्षेत्र नागपुर ग्रामीण और नागपुर मेट्रो रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (NMRDA) का हिस्सा है, जो इस क्षेत्र की नियोजन प्राधिकरण है, जिसने इस क्षेत्र की रोजगार उत्पन्न करने वाली समस्याओं की ओर आँखें बंद कर रखी हैं। उन्होंने आगे बताया कि थोड़ी सी शोध और जांच से पता चलेगा कि नामित नियोजन प्राधिकरण ने इन क्षेत्रों में कोई ड्रेनेज सिस्टम विकसित नहीं किया है। हाल के दिनों तक मध्यम से भारी बारिश का पानी प्राकृतिक नाले-नहरों से आसपास के जल निकायों में बह जाता था। यह उल्लेखनीय है कि बारादरी में बड़े जल निकाय को निजी संपत्ति में बदल दिया गया है और मालिक ने जल निकाय के चारों ओर बाउंड्री वॉल बना दी है। निजी मालिक ने जल निकाय के प्रवेश बिंदु और नाग नदी की ओर निकास बिंदु दोनों को ऊँचा कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप जल-जमाव और क्षेत्र में लंबे समय तक पानी रुका रहता है।
डॉ. दीपेन अग्रवाल ने आगे कहा कि नागपुर मेट्रो रीजन के लिए विकास योजना (2012-2032) वर्ष 2018 में अधिसूचित की गई थी और विडंबना यह है कि NMRDA जो उद्योग पिछले 4 से 5 दशकों से स्थापित और संचालन में हैं, उन से अपेक्षा करता है कि वे DCR (2012-2030) का पालन करें। डॉ. अग्रवाल ने अनुरोध किया कि जिस तारीख को नागपुर मेट्रो रीजन के लिए DCR अधिसूचित किया गया था उससे पहले स्थापित इकाइयों को उक्त DCR के प्रावधानों से बचाया जाना चाहिए। वैकल्पिक रूप से एक माफी योजना की घोषणा की जा सकती है ताकि न्यूनतम नियमितीकरण शुल्क के साथ विकास को नियमित किया जा सके क्योंकि ये उद्योग स्वयं अधिग्रहित भूमि पर हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने फडणवीस से मामले में उनके तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध किया और उनसे क्षेत्र में सीवरेज, जल निकासी, सड़कें, अग्निशमन स्टेशन, अस्पताल आदि जैसे बुनियादी ढांचे के विकास को सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया।
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने धैर्यपूर्वक सुनने के बाद, बारिश से प्रभावित उद्योगों के दर्द को साझा किया। उन्होंने तुरंत अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया कि जल-जमाव की समस्या स्थायी रूप से हल हो जाए। उन्होंने संबंधित प्राधिकरण को यह भी निर्देश दिया कि वे DCR (2012-2030) की अधिसूचना से पहले स्थापित इकाइयों को नियमित करने के लिए उचित माफी योजना पर चर्चा कर प्रस्तावित करें।
दिलीप भाई ठकराल ने उपमुख्यमंत्री के धैर्यपूर्वक सुनने के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रभावित क्षेत्र के व्यावसायिक समुदाय को विश्वास है कि उनके हस्तक्षेप से निश्चित रूप से भंडारा रोड, नागपुर ग्रामीण में स्थापित रोजगार सृजकों को न्याय मिलेगा।
प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख रूप से उपस्थित थे दिलीप भाई ठकराल, प्रकाश कटारिया, नीरज खख्खर, संजय कामदार, मंगला बेन पटेल, अंसारी, अशोक पटेल, चंदू भाई पटेल, दिनेश पटेल, नटवर पटेल, नवीन पटेल, हसमुख पटेल, दया भाई पटेल, मनीष पटेल, नितिन पटेल, कांति पटेल, जसुभाई पटेल, तुषार पटेल और मोटा भाई पटेल। CAMIT द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई।