MIA
हिंगणा एमआईडीसी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन का दृष्टिकोण
7 दिसम्बर 2025 11.50 AM
हिंगणा एमआईडीसी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (MIA) के एक सदस्य के रूप में यह समझना आवश्यक है कि नागपुर में आयोजित होने वाला महाराष्ट्र विधानमंडल का शीत सत्र वास्तव में विदर्भ, विशेषकर हिंगणा एमआईडीसी जैसे औद्योगिक क्षेत्रों के लिए ठोस लाभ लेकर आता है या नहीं।
निस्संदेह, शीत सत्र के दौरान राज्य का सम्पूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व नागपुर में उपस्थित होता है, जिससे विदर्भ के औद्योगिक मुद्दों को मजबूती से उठाने का एक महत्वपूर्ण मंच मिलता है। हर वर्ष एमआईए औद्योगिक अवसंरचना, बिजली दरों का युक्तिकरण, सड़कों की मरम्मत, ड्रेनेज, जलापूर्ति और तेजी से अनुमतियाँ मिलने जैसे प्रमुख मुद्दों को सामने लाती है। मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति से इन विषयों को तुरंत ध्यान और प्रतिक्रिया मिलती है।
फिर भी, इस दृश्यता के बावजूद हिंगणा एमआईडीसी पर इसका समग्र प्रभाव मिश्रित ही दिखाई देता है। बार-बार उठाए गए मुद्दे, जैसे आंतरिक सड़कों की खराब स्थिति, बिजली की गुणवत्ता में अस्थिरता, अनुमतियों में देरी और सार्वजनिक परिवहन की कमी, औद्योगिक विकास को लगातार प्रभावित करते रहते हैं। अधिवेशन के दौरान आश्वासन तो मिलते हैं, परंतु अधिवेशन समाप्त होने के बाद मुंबई लौटते ही उनका फॉलो-अप अक्सर धीमा पड़ जाता है, जिससे उद्योगों में नाराजगी बढ़ती है।
इसके बावजूद, शीतकालीन अधिवेशन प्रशासनिक गति पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कई छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कार्य, अनुमतियाँ और विभागीय समन्वय सीधे संपर्क के कारण तेजी से आगे बढ़ते हैं। इससे विदर्भ के औद्योगिक क्षेत्रों, विशेषकर हिंगणा जैसे विनिर्माण केंद्रों की चुनौतियाँ लगातार राजनीतिक और प्रशासनिक फोकस में बनी रहती हैं।
अंत में, विदर्भ को शीतकालीन अधिवेशन से दृश्यता और प्रशासनिक प्रोत्साहन तो मिलता है, पर वास्तविक लाभ तभी मिलेंगे जब नागपुर में किए गए वादे पूरे वर्ष लगातार लागू हों। हिंगणा एमआईडीसी के लिए जरूरत केवल घोषणाओं की नहीं, बल्कि ठोस क्रियान्वयन की है, ताकि अवसंरचना मजबूत हो, उद्योगों का वातावरण बेहतर बने और क्षेत्र महाराष्ट्र की प्रगति में अधिक प्रभावी योगदान दे सके।

























































