वीआईए का एमएसईडीसीएल पर अवैध 20% बिजली दर वसूली का आरोप

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समीक्षा याचिका के तहत प्रस्तावित ₹11,751 करोड़ की अतिरिक्त वसूली का कड़ा विरोध

8 दिसम्बर 2025                          7.35 PM

नागपुर - विदर्भ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (VIA)कहना है कि महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) 1 अप्रैल 2025 से अब तक उपभोक्ताओं से लगभग 20% अधिक बिजली दर अवैध रूप से वसूल रही है, जो कि 17 नवंबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का घोर उल्लंघन है।

ऊर्जा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष आर. बी. गोयनका के अनुसार, वैधानिक रूप से मान्य विद्युत दर महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग (MERC) द्वारा 28 मार्च 2025 को निर्धारित की गई थी, जो 4,485 उपभोक्ताओं की आपत्तियों एवं सुझावों पर सार्वजनिक सुनवाई के बाद पारित हुई थी। यह वर्ष 2025 से 2030 तक के लिए पाँच वर्षीय टैरिफ आदेश था, जिसमें बीपीएल एवं घरेलू उपभोक्ताओं सहित सभी श्रेणियों के लिए दरों में कमी की गई थी।

इसके पश्चात MSEDCL ने MERC के समक्ष इस आदेश की समीक्षा एवं तत्काल स्थगन (स्टे) की मांग करते हुए याचिका दायर की। VIA की इस आपत्ति के बावजूद कि यह याचिका कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है तथा इसमें सार्वजनिक सुनवाई अनिवार्य है, MERC ने 25 जून 2025 को बिना किसी उपभोक्ता सुनवाई के संशोधित टैरिफ आदेश जारी कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप औसतन 20% की वृद्धि हुई तथा टाइम ऑफ डे (TOD) स्लॉट में परिवर्तन के कारण सौर एवं नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ अव्यवहारिक हो गईं।

VIA एवं अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 25 जून 2025 के संशोधित आदेश को रद्द कर दिया और यह स्पष्ट किया कि बिना हितधारकों से परामर्श किए इस प्रकार के बड़े टैरिफ परिवर्तन नहीं किए जा सकते। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि 3 नवंबर 2025 के उच्च न्यायालय आदेश के चार सप्ताह बाद 28 मार्च 2025 वाला मूल टैरिफ आदेश पुनः लागू किया जाए।

इसके विरुद्ध MSEDCL ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की, जिस पर 17 नवंबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को पुनः समीक्षा हेतु MERC को भेजते हुए 12 सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया, साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि विशेष रूप से उच्च न्यायालय के निर्देश यथावत लागू रहेंगे।

VIA का स्पष्ट मत है कि क्योंकि 25 जून 2025 का संशोधित आदेश माननीय न्यायालय द्वारा अवैध एवं शून्य घोषित किया जा चुका है, अतः 28 मार्च 2025 का मूल टैरिफ आदेश 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाना चाहिए, तथा अप्रैल से नवंबर 2025 के दौरान उपभोक्ताओं से वसूली गई अतिरिक्त राशि MSEDCL द्वारा वापस की जानी चाहिए।

VIA अध्यक्ष प्रशांत मोहोता ने कहा कि इससे 28 मार्च 2025 के अनुकूल टैरिफ आदेश के कारण विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं को बड़ी राशि की वापसी सुनिश्चित होगी, क्योंकि 25 जून 2025 का आदेश उपभोक्ताओं के प्रतिकूल था।

इसी बीच, MSEDCL ने अब RGGPL (दाभोल), अडानी पावर एवं महाजेनको जैसी विद्युत उत्पादक कंपनियों के भुगतान हेतु उपभोक्ताओं से अतिरिक्त ₹11,751 करोड़ की वसूली की अनुमति भी मांगी है। VIA ने इस मांग का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि समीक्षा तभी वैध मानी जाएगी जब उसमें केवल किसी लिपिकीय, अंकगणितीय त्रुटि या आकस्मिक चूक-संशोधन की बात हो और वह भी विधिवत सार्वजनिक सुनवाई के बाद। केवल ऐसी स्थिति में ही समीक्षा याचिका कानूनी रूप से स्वीकार्य हो सकती है।

अतः VIA ने 28 मार्च 2025 के टैरिफ को तत्काल प्रभाव से लागू करने, ₹11,751 करोड़ की अतिरिक्त वसूली के प्रस्ताव को अस्वीकार करने तथा न्यायालय द्वारा अनिवार्य सार्वजनिक परामर्श प्रक्रिया का पूर्ण पालन सुनिश्चित करने की मांग की है, साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि कोई भी अतिरिक्त दर वृद्धि महाराष्ट्र के घरेलू एवं औद्योगिक उपभोक्ताओं पर भारी आर्थिक बोझ डालेगी।









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